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अफीम के औषधीय गुण

                             अफीम के औषधीय प्रयोग, गुण एवं चिकित्सीय सेवन विधि  

हिंदी नाम :  अफीम
अंग्रेजी     :  Opium
संस्कृत    :  अहिफेन
पंजाबी     :  ਅਫੀਮ
गुजराती  :  અફીણ, अफीण
मराठी     :  अफू, आफीमु
अरबी      :  اللودنوم مستحضرأفيوني, लब्नुल, खखास
बंगाली    :  অহিফেনের আরক
तेलगु      :  నల్లమందు ద్రావకం
उर्दू          :  اوپنیم

अफीम (Opium) का परिचय 

अफीम पोस्त के डोडो से प्राप्त की जाती है। जो कृषिजन्य पौधो पर लगते हैं। भारतवर्ष में बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य एवं पश्चिम भारत और मालवा में पोस्त की खेती की जाती है। पोस्त के डोडे जब पूर्ण विकसित हो जाते है, परन्तु कच्ची अवस्था में होते है जब इनमे चीरा लगाने से एक गाढ़ा दूध (लैटेक्स) निकलता है। इसको एकत्रित कर सूखा लिया जाता है। यही व्यावसायिक या औषधीय अफीम है।

अफीम – बाह्य-स्वरू

पोस्त के डेढ़ से 4 फुट तक अर्धवार्षिक क्षुप होते हैं। जिनमें पत्र 4 इंच लम्बे-चौड़े, अवृंत, हृदयाकार तथा काण्ड संसक्त होते हैं। पुष्प एकल, नीलाभ श्वेत, नीचे का भाग बैंगनी या चित्रित होते हैं। फल अनार की भांति गोल अंडाकार इसके नीचे की ओर ग्रीवा तथा ऊपर कंगूरेदार चोटी होती है। फल पकने पर स्फुटन के लिए कंगूरे के नीचे कपाटाकार सूक्ष्म छिद्र हो जाते है।

रासायनिक संघटन

पोस्त के बीजों में हल्के पीले रंग का मीठा स्थिर तेल होरा है जिसे रोगन खशखश कहते है। अफीम में मार्फिन, नार्कोटीन एवं कोडीन आदि एल्केलाइड्स पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त इनमे अनेक प्राथमिक तथा द्वितीयक एल्केलाइड्स कार्बनिक अम्ल, जल, राल, ग्लूकोज, वसा, उड़नशील तैल आदि तत्व पाये गये हैं।

अफीम गुण- धर्म

पोस्त का डोडा शीतल, हल्का, ग्राही, कड़वा, कसैला, वातकारक, कफ तथा शुष्क कासहार, धातुओं को सुखाने वाला रुक्ष मदकारक, वचन-वर्धक, मोहजंक तथा रूचि को उत्पन्न कटने वाला है।

लगातार सेवन से नपुंसकत्व पैदा करता है। अफीम शोषक, ग्राही, कफनाशक वायु तथा पित्त कारक है तथा जो गुण डोडा में हैं वहीं इसमें भी है। पोस्त के बीज वीर्यवर्धक, बलदायक, भारी, कफवातवर्धक है।

अफीम के औषधीय गुण, सेवन विधि 

मस्तक पीड़ा में अफीम की दवाएं

1 ग्राम अफीम और दो लौंग पीसकर लेप करने से बादी और सर्दी की मस्तक पीड़ मिटती है।

नेत्र रोग में अफीम की दवाएं

आँख के दर्द और आँख के दूसरे रोगों में इसका लेप बहुत लाभकारी है।

नकसीर में अफीम की दवाएं

अफीम और कुंदरू गोंद दोनों बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर सुंघाने से नकसीर बंद होती है।

केश में अफीम की दवाएं

इसके बीजों को दूध में पीसकर सिर पर लगाने से इसमें होने वाले फोड़े फुंसियां एवं रुसी साफ़ हो जाती है।

 

दंतशूल में अफीम की दवाएं

16 मिलीग्राम अफीम और 125 मिलीग्राम नौसादर, दोनों को दाड़ में रखने से दाड़ की पीड़ा मिटती है और दांत के छेद में रखने से दंतशूल मिटता है।

कर्णशूल में अफीम की दवाएं

अफीम की 65 मिलीग्राम भस्म गुलाब के तैल में मिलाकर कान में टपकाने से पीड़ा मिटती है।

स्वर भंग में अफीम की दवाएं

अफीम के डोडे और अजवायन को उबालकर गरारे करने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।

प्रतिश्याय कोर खांसी में अफीम की दवाएं

1. बीज सहित इसके 60 ग्राम डोडे लें तथा इनको दो ग्राम बूरा मिलाकर शर्बत बनाकर पिलाने से प्रतिश्याय व खांसी मिटती  है।

2. डंठल अलग करके, इसके 2 डोडे लें तथा इनको दो ग्राम सैंधा नमक के साथ ३५० ग्राम पानी में उबाल लें, जब 100 ग्राम पानी शेष रह जाये तो छानकर सोते समय पिलाने से प्रतिश्याय और खांसी मिटती है।

आमाशय की सूजन, उदरशूल में अफीम की दवाएं

अमाशय की झिल्ली की सूजन और उदरशूल में इसका लेप बहुत फायदेमंद है।

संग्रहणी में अफीम की दवाएं

अफीम और बछनाग 3 ग्राम लौह भस्म 250 ग्राम और अभरक भस्म डेढ़ ग्राम इन चारों वस्तुओं को दूध में घोटकर 125 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करनी चाहिए। पथ्य में जल को त्याग करके खाने-पीने में दूध का ही व्यवहार करने चाहिए।

अतिसार में अफीम की दवाएं

1. अतिसार में अग्रिम और केशर को समान भाग लेकर पीस ले तथा 125 मिलीग्राम प्रमाण की गोलिया बनाकर शहद के साथ देने से लाभ होता है।

2. अफीम को सेंककर खिलाने से पक्वातिसार मिटता है।

3. 4 से 9 ग्राम तक इसके डोडे पीसकर पिलाने से अतिसार मिटता है।

 

अर्श में अफीम की दवाएं

1. शूल युक्त अर्श पर रसवंती तथा अफीम का लेप करने से वेदना कम होकर रक्तस्त्राव बंद हो जाता है।

2. धतूरे के पत्रों के रस में अफीम मिलाकर लेप करने से वेदना शीघ्र बंद हो जाता है।

गर्भाशय की पीड़ा में अफीम की दवाएं

प्रसव होने के पश्चात गर्भाशय की पीड़ा मिटाने के लिए इसके डोडों का क्वाथ पिलाना चाहिए।

कटिशूल में अफीम की दवाएं

1. एक तोले पोस्त के दानों में बरबरा मिश्री मिलकर फंकी देने से कमर की पीड़ा मिटती है।

2. इसके डोडे पानी में भिगोकर पानी इतना पिलायें की नशा न हो, इससे कमर का दर्द मिटता है।

वादी की पीड़ा में अफीम की दवाएं

स्नायु संबंधी पीड़ा पर इसके लेप करने से लाभ होता है।

खुजली में अफीम की दवाएं

अफीम को तिल के तेल में मिलाकर मालिश करने से खुजली मिटती है।

जोंक के डंक में अफीम की दवाएं

जोंक का डंक अगर पक जाए तो उस पर इसके दोनों को पीसकर लेप करने चाहिए।

ज्वर में अफीम की दवाएं

अफीम के एक डोडे और 7 काली मिर्च को उबालकर सुबह-शाम पिलाने से चातुर्दिक ज्वर मिटता है।

नासूर में अफीम की दवाएं

1. अफीम और हुक्के के कीड़े की बत्ती बनाकर भरने से नाडी ब्रंण भर जाता है।

2. मनुष्य के नाख़ून की रख में 250 मिलीग्राम अफीम उसमें रखकर आग पर पकाकर खिलाने से लाभ होता है।

आक्षेप में अफीम की दवाएं

प्रलाप, अनिद्रा, आक्षेप, वायु हनुस्तंभ आदि रोगों में अफीम का सेवन लाभकारी है। हनुस्तम्भ: कभी-कभी निचला जबड़ा खुलने के बाद नीचे ही अटक जाता है। इस प्रकार जबड़े के अटकने को हनुस्तम्भ या जबड़े का अटकना कहते हैं।

दोष में अफीम की दवाएं

अफीम का अधिक मात्रा में सेवन उपद्रवकारी है और इससे मृत्यु तक हो जाती है।

निवारण

रीठे का जल, नीम का क्वाथ, मैनफल व तम्बाकू का क्वाथ, करमयक शाक का रस निचोड़कर पिलाने से प्राण करता हुआ बीमार भी बच जाता है।

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