नारियल के औषधीय गुण, नारियल के धार्मिक, पौराणिक, आयुर्वेदिक, वैद्यकी, तांत्रिक गुण
Nariyal ke Aushadhiya Gun: नारियल मूत्राशय शोधक, पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक, बलवर्धक, रक्तविकार नाशक, दाहशामक तथा वात-पित्त नाशक है, नारियल एक बेहद उपयोगी लाभदायक, देर से पचने वाला, ग्राही (ग्रहण करने वाला), फल है। महिलाओं की खूब सूरती एवं बालों की सुंदरता में नारियल एवं नारियल तेल के प्रयोग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। Nariyal ke Gun, Aushadhi, Fayade, Nuksan aur Aushadhiya Prayog in Hindi. Nariyal ke Vaidiki, Aushadiya, Pouranik, Dharmik, Ayurvedik Gun Labh au r haniyan.
नारियल के पर्यायवाची शब्द: नारिकेल, लांगली, सदापुष्प, शिरःफल, रसफल, सुतुंग, कूच्चंशेखर, दृढ़नील, नीलतरु, मंगल्य, तृणराज, स्कधतरु, दक्षिणात्य, त्र्यंबकफल, दृढ़फल, तुंग, सवाफल, कौशिकफल, फलमुंड, विश्वामित्राप्रिय के प्रयोग से उपचार, वैद्यक, चिकित्सा, दवा, गुन, औषधीय प्रयोग, सेवन विधि, एवं नारियल के प्रयोग से लाभ और हानि।
नारियल के गुण – नारियल के वैद्यकी, धार्मिक, पौराणिक, आयुर्वेदिक गुण
नारियल के विभिन्न भाषाओँ में नाम
Hindi-नारियल, नारियल गरी, खोपरा
Sanskrit- नालिकेर, नारिकेलतैलम् , नारिकेलजलम्
English-Coconut, Copra
Marathi-नारळ,
Punjabi -ਨਾਰਿਅਲ,
Bangla-নারিকেল,
Gujarati-નાળિયેર,
Telugu-కొబ్బరి,
Urdu-ناریل۔ ,
Tamil-தேங்காய்,
Malayalam-തേങ്ങ,
Kannada-ತೆಂಗಿನಕಾಯಿ
नारियल का धार्मिक महत्व
नारियल का वैदिक, पौराणिक, धार्मिक महत्व: हिन्दू धर्म एवं धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा पाठ, यज्ञ, आहुति, तंत्र, मंत्र, योग, सिद्धियां एवं अनेक शुभ एवं अशुभ अवसरों तथा देवी देवताओं की पूजा बिना नारियल के अधूरी मानी जाती है। अनेक अनुष्ठान में जीव बलि के स्थान पर नारियल बलि देने का वैदिक प्रावधान है। इस तरह नारियल का धार्मिक, पौराणिक, वैदिक, दैविक, याज्ञिक रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वैदिक एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नारियल की उत्पत्ति का श्रेय महर्षि विश्वामित्र एवं महाराजा सत्यव्रत को दिया जाता है एवं नारियल फल को शिव (त्रिनेत्रधारी) का रूप भी माना जाता है।
मांगलिक अनुष्ठान: भारतीय लोक व्यवहार में नारियल का विशेष महत्व है। यह मांगलिक फल माना जाता है। इसकी गिरी, जल, फूल, तेल, जड़ तथा छाल आदि सभी के औषधीय उपयोग है। हमारे देश में पाए जाने वाले फलों में नारियल अत्यन्त उपयोगी फल है, जो भूख के साथ-साथ प्यास भी बुझाता है। इसे ‘शुभफल’ तथा श्रीफल भी कहते है। श्री यानी लक्ष्मी का फल।
नारियल के गुण: एक चीनी कहावत के अनुसार नारियल में उतने गुण है जितने कि वर्ष में दिन। नारियल का एक पेड़ उगाने का मतलब है अपने परिवार के लिए खाना, पीना, कपड़े, मकान, बर्तन, ईधन आदि का इंतजाम कर लेना।
नारियल की खेती: नारियल की खेती प्रायःभारत के भारत में प्रमुख रूप से केरल, तमिलनाडु, आँध्रप्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में खूब उगते हैं। महाराष्ट्र, गुजरात के तटीय क्षेत्रों एवं गोआ में भी इसकी उपज अच्छी होती है। नारियल की खेती वर्षा वाले समुद्री तटवर्ती क्षेत्र या नमकीन जलवायु में अधिक होती है। नारियल एकबीजपत्री पौधा है, इसका तना लम्बा तथा शाखा रहित तने के ऊपरी सिरे पर लम्बी पत्तियों का मुकुट होता है। नारियल के पत्तो का उपयोग हम छाते के लिए कर सकते है।
नारियल का आयुर्वेदिक महत्व
नारियल के औषधीय गुण
1. आयुर्वेद के अनुसार नारियल की गिरी शीतल, पुष्टिकारक, बलदायक, वीर्यवर्धक, वात-पित्त और रक्त विकार नाशक होती है। यह देर से हजम होने वाला तथा मूत्राशय शोधक मानी जाती है।
2. नारियल की गिरी मधुर, पौष्टिक, स्वादिष्ट, स्निग्ध, रुचिकारक, बलवीर्य बर्धक तथा मलावरोधक होती है। नारियल में उच्च कोटि का प्रोटीन रहता है।
3. पकने पर नारियल की गिरी में चिकनाई तथा कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ जाती है।
4. नारियल की कच्ची गिरी में अनेक एंजाइम होते है जो पाचन क्रिया में मददगार होते है। बवासीर, मधुमेह, गैस्ट्रिक, पेस्टीक, अल्सर में यह रामबाण औषधि है। चेहरे की झुर्रियां मिटाने में यह काफी सहायक है, क्योकि इसमें चिकनाई एवं स्टार्च होता है। नारियल की गिरी दूध कुपोषण के शिकार बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है।
5. नारियल मूत्र साफ लाता है, पौरुष में वृद्धि करता है, मासिक धर्म खोलता है, शरीर को मोटा बनाता है तथा मस्तिष्क की दुर्बलता को दूर करता है।
6. मुंह में छाले हो जाने पर या पान खाने से जीभ कट जाने पर सूखे नारियल की गिरी तथा मिश्री मिलाकर खाने से लाभ होता है।
7. कच्ची नारियल की 25 ग्राम गिरी महीन पीसकर अरंडी के तेल के साथ खाने से पेट के कीड़े निकल जाते है।
8. प्रातः भूखे पेट नारियल खाने से नकसीर आनी बंद हो जाती है।
9. नारियल की गिरी बादाम, अखरोट, पोस्ट के दाने मिलाकर खाने से स्मरण शक्ति तथा शरीर की शक्ति बढ़ती है।
10. नारियल की गिरी मिश्री के साथ खाने से प्रसव-दर्द नहीं होता है तथा संतान गौरवर्ण एवं हष्ट-पुष्ट होती है।
11. नारियल की गिरी और शक्कर मिलाकर खाने से आँखों के सामान्य रोगों में लाभ होता है।
12. पुराने नारियल की गिरी को पीसकर उसमें थोड़ी सी हल्दी मिलाकर उसे गरम करके चोट-मोच पर बांधने से आराम मिलता है। नारियल की गिरी कब्ज दूर करने में सहायक होती है। यह आँतों में चिकनाहट पैदा कर देती है।
नारियल पानी के फायदे
नारिकेलजलम्: कच्चे नारियल को ‘डाभ’ कहते हैं। इसमें काफी मात्रा में पानी रहता है। धीरे-धीरे इस पानी का कुछ भाग मुलायम गिरी में बदल जाता है, फिर पानी सूखने से मुलायम गिरी कठोर बन जाती है, जिसे खोपरा कहते हैं।
1. नारियल का पानी अमृत के समान उपयोगी होता है। इसे पीने से प्यास बुझने के अलावा शरीर को शक्ति भी प्राप्त होती है।
2. आयुर्वेद के अनुसार नारियल का पानी स्वादिष्ट, शीतल, रेचक, रक्तशोधक, प्यास और पित्त को शांत करने वाला, मूर्छा तथा ज्वर निवारक होता है ताजे कच्चे नारियल के पानी में माँ के दूध के समान गुण होते है। एक नारियल के पानी से शरीर को दैनिक आवश्यकता के बराबर की मात्रा में विटामिन ‘सी’ मिल जाता है।
3. एक अमरीकी डॉक्टर के अनुसार नारियल का पानी ग्लूकोज के पानी की जगह उपयोग में लाया जा सकता है। सात माह के हरे नारियल के पानी के रासायनिक गुण रक्त के प्लैज्मा के समान होते हैं। उनके अनुसार नारियल के पानी में अधिकतम पोषक तत्व होते हैं। इसमें 5 प्रतिशत चीनी (फ्रैक्टोज तथा सुक्रोज)की मात्रा रहती है।
4. निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) को दूर करने का यह सस्ता और आदर्श द्रव्य है।
5. डाभका पानी अनिद्रा की अवस्था में लाभकारी है।
6. नारियल का पानी पीने से हिचकी दूर होती है तथा पेट दर्द में लाभ होता है।
7. पेशाब की जलन में नारियल के पानी में गुड़ तथा हरा धनिया मिला कर पीने से लाभ होता है।
8. नारियल का पानी पीने से पेट साफ रहता है तथा पथरी निकल जाती है।
9. नारियल का पानी पीकर कच्चा नारियल खानें से पेट के कृमि (कीड़े)निकल जाते है।
10. नारियल का पानी पीने से ज्वर का ताप कम होता है, यह तेज ज्वर को कम करता है।
11. लू लग जाने पर नारियल के पानी के साथ काला जीरा पीसकर शरीर पर लेप करने से शान्ति मिलती है।
12. नारियल के पानी की दो-दो बूँद सुबह-शाम कुछ दिनों तक नाक में डालने से आधा सीसी के दर्द (Adhkarpari) में बहुत आराम मिलता है।
नारियल तेल के गुण/ के फायदे
नारियल का तेल: करीब 65 प्रतिशत नारियल खाने के काम आता है, शेष का तेल निकाला जाता है। एक हजार फलों से करीब 250 किलोग्राम खोपरा तथा करीब 100 लीटर तेल निकलता है। यह तेल 23 से 28 डिग्री सेल्सियस पर पिघलता है तथा इससे कम ताप पर ठोस जमा हुआ रहता है।
नारियल के गुण औषधीय आयुर्वेदिक प्राकृतिक चकित्सा उपचार प्रयोग सेवन विधि
1. तेल करीब 20 प्रतिशत खाने में तथा शेष सौन्दर्यवर्धक पदार्थ बनाने के काम में लिया जाता है। इससे साबुन तथा मोमबत्ती भी बनायी जाती है।
2. नारियल का तेल सुपाच्य होता है। यह खाने तथा तलने के काम आता है। रासायनिक तथा भौतिक दृष्टि से यह तेल मक्खन से बहुत कुछ मिलता जुलता है यह वात पित्त नाशक, दंतविकार निवारक, कृमि नाशक, केश वर्धक, श्वास, मूत्रघात एवं प्रमेह में बहुत उपयोगी होता है। यह स्मरण शक्ति बढ़ाता है।
3. नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर मालिश करने से खुजली मिटती है, बालों का झड़ना तथा सफेद होना बंद हो जाता है।
4. नारियल के तेल में बादाम पीसकर सिर पर लगाने से सिरदर्द दूर हो जाता है।
5. नारियल का तेल बालों के लिए बहुत उपयोगी तथा गुणकारी है। हल्का होने के कारण इससे बाल चिपचिपाते नहीं तथा रुसी आदि की भी शिकायत दूर होती है।
6. नारियल के तेल की मालिस नाखूनों पर करने से उनकी स्वाभाविक चमक और आयु बढ़ती है।
7. अनेक त्वचा रोगों जैसे खाज-खुजली में नारियल के तेल में नीबू का रस और कपूर मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।
नारियल के गुण औषधीय आयुर्वेदिक चकित्सा प्रयोग विधि
बिमारियों में नारियल से प्राकृतिक उपचार प्रयोग एवं सेवन बिधि
1. नारियल के फूल शीतल, मलावरोधक, स्तम्भक, रक्त-पित्तनाशक, प्रमेहनाशक, रक्तातिसार एवं भू मूत्रतानिवारक होते हैं।
2. नारियल वृक्ष की कोमल जड़ मूत्रविरेचक, शोथ, यकृत-विकार में उपयोगी होती है।
3. जड़ को पानी के साथ पीसकर पेडू पर गाढ़ा लेप करने से पेशाब खुलकर आने लगता है।
4. नारियल के कोमल पत्ते मधुर होते है, अतः खाये भी जाते हैं। इन्हें उबालकर स्वादिष्ठ शाक एवं रायता बनाया जाता है।
5. नारियल की जटा श्वास संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी है। यह वमन नाशक तथा रक्तस्राव– निरोधक होती है।
6. दमा और खाँसी में नारियल की जटा भस्म में शहद मिलाकर दिन में दो तीन बार सेवन करने से लाभ होता है। यह हिचकी रोग में भी हितकारी है।
7. शरीर के किसी भी भाग से बहते हुए खून पर जटा की भस्म लगाने से खून बंद हो जाता है।
8. नारियल की जटा जला पीसकर उसमें बूरा मिलाकर करीब दस ग्राम फाँकी पानी के साथ लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
9. यदि सिर में चोट लगने के कारण खून बह रहा हो तो नारियल की छिलके को पीसकर उसमे थोड़ा सा हल्दी मिलाकर गर्म करके लगाने से काफी आराम मिलता है।
सूखे नारियल के नुकसान- Nariyal Prayog se Hani
सूखे नारियल से हानि: सूखे नारियल के कई फायदे है लेकिन इसके प्रयोग के कई नुकसान भी हैं। सूखे नारियल के स्तेमाल के नुकसान/ हानि निम्नलिखित प्रकार से है:-
हार्ट और डायबिटीक (मधुमेह) मरीजों के लिए नुकसानदायक: एक रिसर्च के मुताबिक, सूखे नारियल में ऑयल की अधिक मात्रा होने के कारण कॉलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। साथ ही ये शुगर बढ़ने का भी एक कारण बन सकता है।
सूखे नारियल से वजन बढ़ सकता है: सूखा नारियल खाने से मोटापा बढ़ सकता है क्योंकि इसमें कैलोरी कम शुगर और ऑयल अधिक होता है। डायट में ज्यादा शुगर वजन भी बढ़ाती है और मोटापा भी।
सूखे नारियल से पेट संबंधी समस्याएं: सूखे नारियल खाने से कई लोगों को पेट में गड़बड़ी होने लगती है। उन्हें ब्लोटिंग (पेट फूलना) की समस्या हो सकती है। डायरिया हो सकता है, यहां तक की पेट भी फूल सकता है। हालांकि ये दुष्प्रभाव सिर्फ कुछ समय तक के लिए ही होते हैं।
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