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गिलोय के औषधीय गुण-Amrata-Giloy Aushadhiya Gun in Hindi

 

गिलोय के औषधीय प्रयोग एवं गुण

गंठिया, बुखार, पीलिया, टी.बी., कैंसर, सफेद दाग, यौन, पेशाब में रुकावट, नेत्र रोग, उल्टी, दस्त, पित्ती, लीवर या जिगर, वातरक्त, हिचकी, हलीमक, हांथीपाँव, कान का मैल, आदि बीमारियों के इलाज में गिलोय (अमृता) के औषधीय  चिकित्सा प्रयोग निम्न प्रकार से किये जाते है:-

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गिलोय (अमृता) Giloy گلوی ਗਿਲੌਏ Amrita ગિલૉય அமிழ்தவள்ளி గిలోయ్ ഗിലോയ് Giloy ಗಿಲೋಯ್ गिलीयो

गिलोय के औषधीय गुण-Amrata-Giloy Aushadhiya Gun in Hindi

गठिया में गिलोय के औषधीय प्रयोग एवं उपचार विधि

गठिया से ग्रसित रोगी दूध के साथ गिलोय का चूर्ण 2-5 ग्राम की मात्रा में दिन में दो-तीन बार लेने से गठिया Gathiya और अनुवंशिका मिटती हैं। तथा गठिया से फौरन आराम मिलता है।

बुखार में गिलोय के औषधीय गुण एवं प्रयोग विधि

बुखार से परेशान मरीज को गिलोय या अमृता स्वरस 40 ग्राम अच्छी तरह कुचलकर, मिटटी के बर्तन में 250 ग्राम पानी मिलाकर रातभर ढककर रखते हैं। और प्रातः मसलकर छान प्रयोग करते हैं। 20 ग्राम की मात्रा दिन में तीन बार पीने से ज्वर नष्ट हो जाता हैं। गिलोय का स्वरस 20 ग्राम, इसमें 1 ग्राम पीपली तथा 1 चम्मच मधु का प्रक्षेप देकर प्रातः-सांय सेवन करने से तेज बुखार, कफ, प्लीहारोग, कास, अरुचि आदि रोग नष्ट होते हैं।

पीलिया में गिलोय के औषधीय प्रयोग एवं उपचार विधि

आज के समय में ज्यादा तर लोग पीलिया के शिकार है इस लिए हम आप को गिलोय के बारे में जानकारी देते हुए गिलोय का उपयोग भी बतयगे। गिलोय का स्वरस 20-30 ग्राम अमृता क्वाथ में 2 चम्मच मधु मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलीय (कामला) रोग मिटता हैं। इसके 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर प्रातः काल पीने से कामला मिटता हैं। इसके छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से कामला रोग में लाभ होता हैं।

टी.बी. में गिलोय के औषधीय गुण एवं प्रयोग विधि

टी.बी. (क्षयरोग) से ग्रसित रोगी गिलोय (अमृता), असगंध, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा (वासा), पोहकरमूल तथा अतीस को समभाग लेकर बनाये गये क्वाथ की 50-60 ग्राम मात्रा को सुबह-शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा नष्ट होता हैं। पर केवल दूध अथवा मांसरस का सेवन करें। टी.बी. के रोगी को जितना हो सके उतना भी मांसाहारी भोजन करना चाहिए टी.बी. में लाभ होता है।

कैंसर में गिलोय  के औषधीय प्रयोग एवं उपचार विधि

कैंसर के रोगियों पर जवहर के साथ गिलोय स्वरस मिलाकर प्रति दिन सेवन करने से कैंसर ठीक हो जाता है। तथा इसके प्रयोग से बहुत सारे कैंसर के रोगी को आराम मिला है। गिलोय लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अंगुली जितनी मोटी, 10 ग्राम गेहूं की हरी पत्तियां लेकर थोड़ा पानी मिलाकर पीस लें, कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की औषधियों के साथ उक्त रस का सेवन कैंसर जैसे भयानक रोगों से शीघ्र मुक्ति प्रदान करने में सहयोग करता हैं।

सफेद दाग में गिलोय/अमृता के औषधीय प्रयोग एवं उपयोग विधि

कुष्ठ (कोढ़) गिलोय के गूदे का 10-20 ग्राम स्वरस दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित सेवन करने से कोढ़ रोग नष्ट हो जाता है। तथा कोढ़ से परेशान रोगी को शीघ्र ही आराम मिलता है।

यौन रोग में गिलोय/ अमृता के औषधीय गुण एवं प्रयोग विधि

गिलोय, खस की घास, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चंदन, नागरमोथा, आंवला, हरड़, परवल की पत्ती, नीम की छाल पद्यकाष्ठ इन सभी द्रव्यों को समभाग लेकर कूट पीस, छानकर रख लें। इनके सम्मिलित चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार देने से पित्तज प्रमेह (यौन) रोग नष्ट हो जाते हैं। गिलोय का रस, षटपल घृत का पान, अभया या त्रिफला का क्वाथ विषमज्वर तथा प्रमेह में पीना चाहिये। गिलोय और चित्रक का 20-30 ग्राम क्वाथ सुबह-शाम पिलाने से यौन रोग मिटता हैं गिलोय के 10-20 ग्राम स्वरस में 2 चम्मच मधु मिलाकर दिन में दो तीन बार पीने से प्रमेह नष्ट होता हैं। 1 ग्राम गिलोय सतावर में 3 ग्राम शहद को मिलाकर प्रातः-सांय चाटने से यौन रोग में लाभ होता है।

पेशाब की रुकावट में गिलोय / अमृता के औषधीय प्रयोग एवं उपचार विधि

पेशाब की रुकावट में गिलोय का स्वरस 10-20 ग्राम में पाषाण भेद का 2 ग्राम चूर्ण और 1 चम्मच मधु मिलाकर दिन में तीन-चार बार चटाने से पेशाब की रुकावट में लाभ मिलता है तथा पेशाब आसानी से होने लगती है।

नेत्र रोग में गिलोय / अमृता के औषधीय गुण एवं प्रयोग विधि

नेत्र रोग में गिलोय (अमृता) के 11.5 ग्राम स्वरस में शहद व सेंधा नमक 1-1 ग्राम मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल कर नेत्रांजन करने से तिमिर, पिल्ल, अर्श, कांच, कण्डु टिंगनाश एवं शुक्ल तथा कृष्ण पटल गत नेत्र रोग नष्ट होते हैं। गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर क्वाथ बनाकर इसे पीपल चूर्ण व शहद के साथ प्रातः-सांय सेवन करते रहने से नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती हैं।

वमन (उल्टी) में गिलोय के औषधीय गुण एवं प्रयोग विधि

उल्टी से परेशान मरीज को गिलोय स्वरस 10-15 ग्राम में 4-6 ग्राम तक मिश्री मिलाकर प्रातः-सांय पीने से वमन शांत हो जाती हैं। धूप में घूमने-फिरने से, या पित्त प्रकोप से वमन हो जाता है। गिलोय के 125 से 250 मिलीलीटर हिम में 15 से 30 ग्राम तक शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से लगातार आ रही उल्टी बंद हो जाती है।

दस्त में गिलोय के औषधीय प्रयोग एवं उपचार विधि

दस्त एक प्रकार की जटिल समस्या है दस्त से बचने के लिए गिलोय, सोंठ, मोथा, अतीस इन्हें समभाग लेकर जल में क्वाथ करें। इस क्वाथ को 20-30 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पीने से मंदाग्नि, निरंतर कोष्ठ का आमदोष युक्त रहना एवं आम संयुक्त संग्रहणी (दस्त) रोग शांत होता हैं।

पित्ती में गिलोय के औषधीय गुण एवं प्रयोग विधि

शीतपित्त (पित्ती) से परेशान मरीज को गिलोय के स्वरस में 10-20 ग्राम बावची को पीस कर लेप करने तथा मलने से लाभ होता हैं।

 

लीवर या जिगर में गिलोय के औषधीय प्रयोग एवं उपचार विधि

लीवर वा जिगर में ताज़ी गिलोय 18 ग्राम, अजमोद 2 ग्राम छोटी पीपल 2 नग, नीम की सीके 2 नग इन सबको कुचलकर, रात्रि को 250 ग्राम जल के साथ मिटटी के बर्तन में रख दें। प्रातः पीस छानकर पीला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन से पेट के सभी रोग दूर होते हैं।

वातरक्त में गिलोय के औषधीय गुण एवं उपचार विधि

निरोगी काया के लिए गिलोय या गोरखमुंडी के 2-5 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच शहद और 1 चम्मच घी के साथ चाटकर गिलोय के 40-60 ग्राम क्वाथ को सुबह-शाम पीने से वातरक्त शांत होता हैं। गिलोय के 5-10 मिलीलीटर रस अथवा 40-60 ग्राम क्वाथ को प्रतिदिन निरंतर कुछ समय तक सेवन करने से रोगी वातरक्त से मुक्त हो जाता हैं।

हिचकी में गिलोय के औषधीय प्रयोग एवं उपचार विधि

हिचकी के को दूर करने के लिए गिलोय और सोंठ के चूर्ण की नस्य देने से हिचकी बंद होती हैं। अथवा गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण का हिम बनाकर उसमें दूध मिलाकर पीने से हिचकी शांत होती है।

हलीमक में गिलोय के औषधीय गुण एवं प्रयोग विधि

हलीमक के रस से या कल्क से सिद्ध किया हुआ भैंस का घी 5-10 ग्राम लेकर चौगुने दूध में मिलाकर पीने से हलीमक मिटता हैं।

हांथीपाँव में गिलोय के औषधीय प्रयोग एवं उपचार विधि

हांथीपाँव (श्लीपद) में गिलोय को 10 से 20 ग्राम, रस में 50 मिलीलीटर कटु तेल (सरसों का तेल) मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाली पेट पीने से श्लीपद (हांथीपाँव) नष्ट होता हैं।

कान के मैल में गिलोय के औषधीय गुण एवं प्रयोग विधि

गिलोय को पानी में घिस गुनगुना करके कान में 2-2 बून्द दिन में दो बार डालने से कान का मैल निकल जाता हैं।

विशेष :-

गिलोय (अमृता) के 10-20 ग्राम रस के साथ गुड़ का सेवन करने से बुद्धकोष्ठ मिटता हैं। मिश्री के साथ सेवन करने से पित्त के उपद्रव मिटते है। मधु के साथ सेवन करने से कफ मिटता हैं। सौंठ के साथ सेवन करने से आमवात मिटता हैं। काली मिर्च और सुखोष्ण जल के साथ सेवन करने से हृदय शूल मिटता हैं। इसका प्रयोग व्यधिनुसार अनुपात के सात दिनों तक नियमित रूप करने से बहुत सारी बीमारियों में लाभप्रद है।

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