दाती महराज के दामन पर दाग पीड़िता का खुला पत्र
दाती महराज के दामन पर दाग पीड़िता का खुला पत्र
पीड़िता ने पत्र लिखकर बताई आपबीती………
‘मुझे नहीं पता शिकायत के बाद मेरा क्या होगा.. शायद आप लोगों के बीच में मैं न रहूं, मगर औरों की जिंदगी बर्बाद न हो’।
मैं……………. आज आपसे उस बारे में शिकायत करने जा रही हूं, जिसे डर के कारण, पारिवारिक खातमे के डर से हिम्मत न कर सकी। मगर अब घुट-घुट कर जिया नहीं जाता। भले मेरी जान क्यों न चली जाएं, जिसकी मुझे पूरी आशंका है। फिर भी मरने से पहले यह सच सबके सामने लाना चाहती हूं….
मेरे साथ दाती मदनलाल राजस्थानी ने अपने सहयोगी श्रद्धा उर्फ नीतू, अशोक, अर्जुन, नीमा जोशी के साथ मिलकर 9 जनवरी 2016 को दिल्ली स्थित आश्रम श्री शनि तीर्थ, असोला फतेहपुर बेरी में रेप, कुकर्म किया। यह तब हुआ जब मुझे ‘चरण सेवा’ के लिए श्रद्धा उर्फ नीतू के द्वारा दाती मदनलाल राजस्थानी के पास ले जाया गया। मेरे प्राइवेट पार्ट में …… किया गया। उस रात चीखती-चिल्लाती, दर्द से कराहती रही।
यही चीजें मेरे साथ 26, 27, 28, मार्च 2016 को राजस्थान स्थित गुरुकुल, सोजत शहर, जिला पाली में दाती मदनलाल राजस्थानी ने दोहराईं। अनिल व श्रद्धा ने इस घटना को अंजाम देने के लिए दाती मदनलाल राजस्थानी का भरपूर साथ दिया। अनिल ने भी यही सब किया। इन दोनों घटनाओं में मेरे शरीर के हर हिस्से को जानवरों की तरह नोंचा गया। ये सब मेरे साथ ‘चरण सेवा’ के नाम पर किया गया।
श्रद्धा उर्फ नीतू हमेशा कहती, …‘इससे तुम्हें मोक्ष प्राप्त होगा। यह भी सेवा ही है। तुम बाबा की हो और बाबा तुम्हारे। तुम कोई नया काम नहीं कर रही हो, सब करते आए हैं। कल हमारी बारी थी, आज तुम्हारी बारी है, कल न जाने किसकी होगी। बाबा समंदर हैं और हम सब उसकी मछलियां हैं। इसे कर्ज समझ कर चुका लो’…
इन तीन दिनों में अनिल ने भी मेरे साथ जबर्दस्ती रेप, कुकर्म किया। ये तीन रातें मेरी जिंदगी की सबसे भयानक रातें थीं। इस तीन रातों में न जाने मेरे साथ कितनी बार …किया। ये सब करते हुए मदललाल राजस्थानी ने एक बात कही- ‘तुम्हारी सेवा पूरी हुई’…
इस घटना के बाद मेरी सोचने की इच्छाशक्ति मानो जैसे खत्म हो गई थी। घुट-घुट के जीने से अच्छा है एक बार लड़कर मरूं ताकि इस गंदे राक्षस की सच्चाई सबके सामने ला सकूं। ना जाने कितनी ही लड़कियां मेरी तरह बेबस, लाचार हैं।
मुझे नहीं पता इस शिकायत के बाद मेरा क्या होगा। शायद मैं आप लोगों के बीच न रहूं पर मेरी पुकार आप सभी के बीच रहेगी। सिर्फ इसी उम्मीद के सहारे यह पत्र लिख रही हूं। शायद मुझे न्याय मिले व औरों की जिंदगियां बर्बाद होने से बच सकें। मदनलाल राजस्थानी को जीने का अधिकार नहीं हैं।
मेरी एक ही इच्छा है कि इसके कर्मों की सजा फांसी होनी चाहिए। आपसे यह प्रार्थना है कि मेरा नाम, मेरी पहचान, मेरा पता गुप्त रखा जाए। वरना उसके द्वारा दी गईं धमकियां (न तू रहेगी, न तेरा अस्तित्व) सच हो जाएंगी, जिसकी वजह से आज तक चुप रही।
मुझे व मेरे परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए, अगर मुझे सुरक्षा नहीं दी गई तो यह तय है, न मैं रहूंगी, न मेरा परिवार। सब खत्म हो जाएगा। दाती मदनलाल राजस्थानी बहुत खतरनाक है।
अब तक इसलिए चुप रही। मुझे नहीं लगता था कि मेरा कोई साथ देगा। मगर जब बर्दाश्त से बाहर हो गया तो इस बारे में अपनी ममी-पापा को बताया। उन्होंने वचन दिया कि आखिरी सांस तक तुम्हारा साथ देंगे।
न्याय की इच्छा मरने से पहले और मरने के बाद, जो मेरे साथ हुआ और किसी के साथ न हो।
पीड़िता………….