मेरा भारत महान, I Love My India – Infohindi.com
मेरा भारत महान
- यदि हमारा पुनर्जन्म होता है तो ईश्वर मुझे फिर इसी भारत भूमि में पैदा होने का शौभाग्य प्रदान करे।
- वर्तमान भारत का जो नक्शा आज हम देखते हैं वो किसी भी काल में अब तक मान्य भारत या भारतीय शासक के साम्राज्य के मुकाबले सबसे वृहद है।
- चाहे राम हों या कृष्ण, कौरव हों या पाण्डव, अशोक हों या विक्रमादित्य, अकबर, हो या बाजीराव पेशवा या फिर विजय नगरम का साम्राज्य कोई भी शासक इतने विस्तृत भूभाग पर शासन नहीं कर पाया जितना विशाल और एकीकृत आज का भारत है।
- प्राचीन साम्राज्य में रियासतों से रंगदारी वसूलने को शासन माना जाता था और युद्ध समाप्त होते ही कई छोटे राज्य स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर लेते थे।
- पूरे साम्राज्य का न तो एक संविधान होता और न ही उनमे एक राष्ट्रवाद की भावना होती थी। हर रियासत अपने हिसाब से शासन करती थी। यही कारण है कि आज़ादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 को कई रियासतों ने स्वतंत्र रहने का निर्णय किया था जिस में प्रमुख थे कश्मीर, हैदराबाद, जूनागढ़ और ट्रावनकोर (केरल)।
- कालान्तर में विभिन्न कारणों और और उपायों से सन 1949 आते आते ये सभी भारतीय संघ में शामिल हो गए/ कर लिए गए लेकिन गोवा का विलय भारत में 1961 में हुआ और सिक्किम का विलय भारत में 1975 में हुआ।
- 1987 में भारत ने पकिस्तान से सियाचिन छीन कर एक बड़ी सामरिक और रणनीतिक सफलता हासिल की।
- 1971 में बांग्लादेश बनने के अपमान से बौखलाए पकिस्तान ने 80 के दशक में पंजाब और कश्मीर में अलगाववाद फ़ैला कर और उन्हें स्वतंत्र कश्मीर और खलिस्तान के नाम से आन्दोलन चलाने, उकसाने और आतंक फ़ैलाने के नाम पर बदला लेने की कोशिश की लेकिन भारतीय प्रजातंत्र की मजबूत जड़ों और मंझे हुए नेतृत्व के सामने पकिस्तान का ये मंसूबा कभी सफल नहीं हो सका।
- सियाचिन के अपमान का बदला लेने के लिए पकिस्तान ने 1999 में कारगिल प्लान किया और भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्ज़ा कर लिया।
- उस समय की सरकार को कानोकान खबर नहीं हुई और पकिस्तान ने अपनी स्थिति मज़बूत कर ली जिसे सेना और वीर जवानों ने बड़ी कुर्बानी देकर पकिस्तान के चंगुल से छुड़वाया।
- भारत में लोकतंत्र एक नया प्रयोग था और अंग्रेजो ने भारत छोड़ने से पहले इस के जल्दी ही खण्डित हो जाने की भविष्यवाणी भी कर दी थी लेकिन कांग्रेस रूपी आन्दोलन ने जनता में राष्ट्र वाद की ऐसी भावना भर दी थी कि आज़ादी के तुरंत बाद सब नेवर्ण, भाषा, संस्कार, संस्कृति भिन्न होते हुए भी एक साथ रहना स्वीकार किया। गाँधी के आदर्श और नेहरु की वैज्ञानिक सोच ने इस भारतीयता की भावना को मजबूती दी और भारत का वर्तमान स्वरुप आपके सामने है।
- आज़ादी के समय औसत भारतीय का जीवन मात्र 48 साल होता था जो आज 70 के पार है।
- अशिक्षा और भूख का भयानक श्राप के कर इस देश उदय हुआ था।
- कई युवा लाल मेक्सिकन गेंहूँ को नहीं जानते होंगे जो हमें विश्व से अनुदान में मिलता था, जिसे अमेरिकी जानवर भी नहीं खाते थे।
- इस ज़िल्लत से बचने के लिए लालबहादुर शास्त्री ने एक दिन उपवास का नारा दिया जिसे जनता ने धर्म की तरह स्वीकार किया।
- इंदिरा जी ने हरित क्रांति के माध्यम से भारत को इस स्थिति में पहुँचाया कि जो देश 40 करोड़ का पेट नहीं भर पाता था वो आज 125 करोड़ का पेट पाल रहा है और अनाज निर्यात भी कर रहा है।
- बैंको के राष्ट्रीयकरण से लाला-साहूकारों से मुक्ति दिलाई गयी।
- राजीव जी ने नयी दुनिया का सपना देखा और उसे मूर्त रूप देने के लिए ठोस क़दम उठाए. नरसिम्हा राव ने आर्थिक सुधारों के लिए मनमोहन सिंह जी को खुला मैदान दिया जिससे आज के चमकते हुए शहरी भारत की नींव पड़ी।
- मनमोहन सिंह जी ने अपने 10 साल के कार्यकाल में इन्ही सुधारों की नीव पर मजबूत इमारत बना का भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनाया।
- 65 साल की अवधि किसी देश के इतिहास में उसका शैशव काल के तुल्य होती है।
- यूरोप को यूरोप बनने में 600 साल लगे।
- अमेरिका को अमेरिका बनने में कई गृहयुद्धों से भरे 300 साल लगे।
- आज हम सिर्फ 65 साल में उन से होड़ ले रहे हैं (वो निश्चित ही हम से बहुत आगे हैं-लेकिन हम मुकाबले में तो हैं ही)।
- इसरो को मंगलयान प्रोजेक्ट के लिए बेस्ट इनोवेटिव प्रोजेक्ट का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। भारत का स्वनिर्मित सुपर कम्प्यूटर “परम” विश्व में सर्वश्रेष्ठ से कम नहीं है।
- 90 के दशक में जब रूस ने हमें क्रायोजेनिक तकनीक देने से इनकार किया तो हम ने मात्र 8 साल में उससे बेहतर तकनीक तैयार की।
- जब आधी दुनिया ककहरा सीख रही थी तब 1974 में हम परमाणु शक्ति संपन्न हो चुके थे।
सन 47 में जहाँ सुई भी नहीं बनती थी आज युद्धक विमान तेजस, परमाणु पनडुब्बिया, टैंक, अंतरिक्ष यान आदि बन रहे हैं।
- हम में कई कमियाँ हो सकती हैं लेकिन हम सही रास्ते पर हैं जो हमें नेहरु ने दिखाया है।
- मैं अहसान फरामोश नहीं हूँ जो अपने माँ-बाप से ये पूछ सकूँ कि आपने मेरे लिए 73 साल में क्या किया ?
- मैं अहसान फरामोश नहीं हूँ जो अपनी जन्मभूमि पर शर्मसार हो सकूँ।
- किसी को भारत में जन्म लेने पर शर्मिंदगी हो सकती है लेकिन मैं एक सैनिक के रूप में सदा ही “गर्वीला भारतीय” रहा हूँ और अपनी आख़री सांस तक स्वाभिमानी ही रहूँगा।
- हम किसी भी राजनीतिक पार्टी की आलोचना या चाटुकारिता नहीं करते क्यों कि पक्ष और विपक्ष तो हमारे लोकतंत्र का हिस्सा हैं।
- हमारे विचार/लेख सम्बंधित त्रुटियों में सुधार हेतु आप के सुझाव सदा स्वागत योग्य रहेंगें। अपने जीवन के बहुमूल्य समय से चंद पल देने के लिए आप सभी का आभार।
“जय हिन्द”
सम्मानित सूबेदार मेजर शिव नारायण यादव (सेवा निवृत्त), प्रतापगढ़ ,
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