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बालेश्वर यादव की जीवनी | Baleshwar Yadav Biography in Hindi

बालेश्वर यादव परिचय: भोजपुरी लोक संगीत के सुर सम्राट बालेश्वर यादव जी का जन्म दिनांक 01 जनवरी 1942 को ग्राम पोस्ट बदनपुर जनपद मऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका विवाह श्रीमती छंगूरी देवी से बचपन में ही हो गया था। बालेश्वर यादव ने देश विदेश में बिरहा के द्वारा समाज में फैली कुरीतियां, अशिक्षा, निर्धनता, बेरोजगारी, दहेज़ प्रथा, बालविवाह, जातिप्रथा, धर्मान्धता, ब्राह्मणवाद, संकीर्ण राजनीती जैसी अन्य समस्याओं पर गहरा प्रभाव डाला है। देश प्रेम, समाजसेवा एवं श्रृंगाररस से परिपूर्ण बालेश्वर यादव के बिरहा के अभिन्न अंग रहे हैं। बालेश्वर यादव ने भोजपुरी लोकगीत को एक नई दिशा दिया है, जिसका अनुसरण आज की आनेवाली पीढ़ी कर रही है।

बालेश्वर यादव का बाल्यकाल: बाल्यकाल में बालेश्वर यादव जी की पारिवारिक स्थिति बिल्कुल ख़राब थी, यहॉ तक की उनकी शिक्षा दीक्षा भी नहीं हो पाई थी। लेकिन उन्हें बचपन से ही गाना गाने का बहुत बड़ा शौक था, इसी कला को उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया और देखते ही देखते वे भोजपुरी लोकगीत गायक सम्राट बन गए। स्व. बालेश्वर यादव ने न ही सिर्फ भारत में बल्कि विश्व पटल पर भोजपुरी लोकगीत का झंडा फहराया है।

प्रारंभिक उपलब्धि: सन 1962 में सांसद झारखंडे राय के संपर्क में आकर लखनऊ रेडिओ स्टेशन से लोकगीत का प्रोग्राम देने का मौका मिला, बस वहीँ से बालेश्वर यादव भोजपुरी बिरहा के चाहने वालों के दिल की धड़कन बन गए।

सामाजिक योगदान: लोकगीत के माध्यम से बालेश्वर यादव सामाजिक कुरीतियां, गिरते हुए शिक्षा के स्तर, सामाजिक एवं राजनैतिक भ्रष्टाचार की जंजीरों से जकड़ी देश की स्थिति को उजागर करने का प्रयास किया है।

बालेश्वर यादव का राजनितिक जीवन: जनता की सेवा को ही सौभग्य समाज कर उन्होंने ने राजनीती में कदम रखा एवं देवरिया के पडरौना संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्हें 1989 में जनता दल और 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट से उनको एलेक्सन जिताकर लोकसभा भेजा।

उपलब्धियां: बालेश्वर यादव ने अपने जीवन में बहुत सारी उपलब्धिया प्राप्त की है, जिसमे मुख्य रूप से इन्हे 1995 में उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा लोक संगीत में अतुलनीय योगदान के लिए “यश भारती” पुरस्कार से सम्मानित किया था।बालेश्वर यादव अपने उपनाम बालेश्वर बाबा एवं बिरहा बाबा से भी सम्बोधित किये जाते थे। वे भोजपुरी के जनगायक के साथ साथ जननायक भी थे।

देश विदेश की उपलब्धियां: बालेश्वर यादव जी ने भोजपुरी लोकगीत का झंडा न सिर्फ देश में बल्कि विदेश जैसे गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मारीशस, फिजी एवम हालैंड आदि देशों में जहाँ भी भारतीय सदियों से बेस हैं, अपनी संगीत, लोकगीत एवं देश का झंडा फहराया है।

श्री बालेश्वर के चिरयौवन का रहस्य: बालेश्वर यादव के गीत अमर हैं, उन्होंने समय के अनुसार अपने विचारों को गीत के माध्यम से सुर संगीत में पिरोया है, यही कारण है की 75 वर्ष की आयु में भी वे जवानी का अभिनय करते थे, जिसके कारण वे जनमन में बहुत ही लोकप्रिय थे। बालेश्वर के चिरयौवन का रहस्य उनकी सदाबहार जीवन शैली, हसमुख ब्यक्तित्व एवम अथक परिश्रम करने की कला ही हो सकती है।

मृत्यु: भोजपुरी लोकगीत, संगीत रचनाकार के अगुआ धुरन्धर लोकगायक बालेश्वर यादव ने 09 जनवरी 2011 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी हॉस्पिटल लखनऊ में अंतिम सांसे ली, जिससे देश एवं भोजपुरी प्रेमियों को अपूर्ण क्षति हुई है। पाठकों की तरफ से श्री बालेश्वर यादव जी को सत सत नमन एवं भावभीनी श्रंद्धांजली, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

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