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दीपा कर्माकर ओलिंपिक में रचा इतिहास Deepa Karmakar Bio

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दीपा कर्माकर ओलिंपिक में रचा इतिहास Deepa Karmakar Bio: गरीबी, संसाधन एवं असुविधाओं से संघर्ष करते हुए ओलिंपिक में चौथा स्थान  प्राप्त  करके 14  अगस्त 2016 को रियो में  इतिहास रच दिया।

जन्म : दीपा कर्माकर का जन्म 09 अगस्‍त 1993 को त्रिपुरा राज्य के अगरतला में भारोत्तोलन कोच दुलाल कर्माकर के यहाँ हुआ था।

बेटी को बेटा के बराबर दर्जा : दुलाल कर्माकर के दो ही बेटियां थी जिसमे से किसी एक को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहते थे और इसलिए बेटी, बेटा के बिना भेदभाव के उन्होंने दीपा को इस ओर प्रेरित किया।

पसंदीदा खेल : दीपा कर्माकर की पहली पसंद जिमनास्टिक नहीं थी। किन्तु अपने पिता की प्रेरणा से उन्होंने मात्र 6 वर्ष की आयु में उन्होंने जिमनास्टिक में पहली बार कदम रखा था।

संघर्षमय सफर : अगरतला के कोच बिस्बेश्वर नंदी ने दीपा कर्माकर को जिमनास्टिक का प्रशिक्षण दिया। दीपा के पैरों के आकार के कारण नंदी को भी उन्हें प्रशिक्षित करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

सपाट पैर (Flat Foot) : जिमनास्‍ट में आने के लिए अपने सपाट पैरों के कारण दीपा कर्माकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। साधारणतया सपाट पैर वाले जिमनास्‍टों को काफी परेशा‍नियों का सामना करना पड़ता है या फिर वो इस खेल का हिस्‍सा ही नहीं बन पाते हैं। दीपा कर्माकर ने अदम्य साहस दिखाते हुए असंभव को संभव कर दिखाया है।

गरीबी  : बेहद साधारण परिवार से आने वाली दीपा ने जब पहली बार किसी जिमनास्टिक प्रतियोगिता में भाग लिया तो उनके पास जूते भी नहीं थे, उन्‍होंने किसी और से जूते उधार में लिये और ढीले-ढाले कपड़ों से ही जिमनास्‍ट स्‍पर्धा में भाग लिया था।

पहली महिला जिमनास्ट : दीपा करमाकर, ओलंपिक में जाने वाली पहली महिला जिमनास्ट हैं, इससे पहले भारत के 11 पुरुष जिमनास्ट ओलंपिक में खेल चुके हैं। 1952 के ओलंपिक में दो, 1956 के ओलंपिक में तीन और 1964 के ओलंपिक में भारत के छह एथलीट जिमनास्टिक प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं।

कोच और पिता को सम्मान : ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली महिला जिमनास्ट बनने वाली दीपा करमाकर का कहना है कि “मैं आज जो कुछ भी हूं और अगर इस मंच तक पहुंची हूं, तो अपने कोच और पिता के पूर्ण रूप से दिए गए समर्थन और सहयोग के कारण पहुंची हूं।”

क्रोध पर नियंत्रण : कठिन संघर्ष के बाद आज ओलंपिक के लिए क्‍वालिफाइ करने वाली दीपा भले ही अपने कोच की हर बात मानती हैं, लेकिन उन्‍हें खुब गुस्‍सा आता है। दीपा बताती हैं कि उन्‍हें अपने क्रोध पर नियंत्रण  करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन 1964 के बाद ये पहला मौका है, जब कोई भारतीय जिमनास्टिक में मेडल की रेस में शामिल होगा।

प्रेरणा :  आशीष को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाली दीपा से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “आशीष भैया को जब पदक जीतते देखा, तो हमने सोचा लिया था कि हमें भी यह करना है।”

उपलब्धियां : दीपा करमाकर राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में कूल 77 मेडल जीत चुकी हैं, जिसमें 67 गोल्ड मेडल शामिल हैं। दीपा ने 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता था।

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